शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

 
 








  

SURAKSHA TRUST 

भंवरलाल स्वामी
चेयरमैन, सुरक्षा ट्रस्ट,
जीव-जन्तु कल्याण एवं पर्यावरण को समर्पित चेरिटेबल ट्रस्ट

 आखिर कैसे बचेंगें वन्य जीव

आज सभी देश विकास की चरम सीमा से पार है। आज विश्व के सभी देश आर्थिक और अन्य सुविधाओं से परिपूर्ण है। आधुनिक तकनीक से सभी देश एक-दूसरे एक करीब है कि मानो पूरी पृथ्वी घर जैसा प्रतीत होती है। परन्तु इन सुखों को प्राप्त करने के लिये मनुष्य ने सदा ही प्रकृति और पर्यावरण से खिलवाड़ किया है। आज संसार में 80 प्रतिशत जंगलों की संख्या घट कर 20 से भी नीचे चली गयी। जिस कारण आज मनुष्य के लिये बहुपयोगी मानी जाने वाली औषधीय वनस्पतियाँ, जड़ी-बुटियां जिनका महत्व हजारों सालों से चला आ रहा है। इसके अलावा प्राकृतिक सम्पदा एवं धरोहर रुपी ऐसे जीव-जन्तुओं जानवरों जिनको देखकर मनुष्य आत्म विभोर होने के साथ-साथ इनका अपने निजी व्यवसाय, मनोरंजन आदि में भी सम्बन्ध रहा है। आज यह विलुप्ति की कगार पर है, जो मनुष्य के स्वार्थों से नष्ट होते जा रहे है। आज इन्हें अपना अस्तित्व बचाये रखने में कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। फिर भी कई जीवों की जहाँ बहुआयात हुआ करती थी। आज वो या तो खत्म हो चुके है या नाममात्र है। जिसका सबसे बड़ा और विशेष कारण है कि मनुष्य का इनके प्रजनन व आवासीय क्षेत्रोंं में घुसपेठ करना, अत्यधिक शिकार, कृषि क्षेत्रों में रासायनों, कीटनाशकों का अन्धाधुन्ध उपयोग और पर्यावरण के बिगडऩे से पैदा हुई परिस्थितियाँ जिम्मेदार है। आज जहाँ कहीं देखो चारों ओर कंक्रीट और लोहे के ऊंचे-ऊंचे जंगलों के अलावा परिवहन संसाधनों की तीव्र ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण भी इसके कारण है।
क वर्तमान में इन अनमोल धरोहरों को बचाने के लिये सरकार और संघटनों के झूठेे वायदों और झांसोंं की अपेक्षा सख्त कानून और आम जन के सहयोग की जरूरत है।
कसभी जीव-जन्तुओं और जानवरों के लिये सभी राज्य और शहरों में संरक्षित क्षेत्रों को आरक्षण देना।
कभूमि अधिग्रहण में जंगलों की कटाई पर रोक लगाना व जंगलों के साथ लगते इलाकों में भवन आदि निर्माण पर सख्ती से रोक लगाना।
क वन्य जीव विभाग व पर्यावरण संरक्षण विभाग द्वारा नये कानून बनना व उन्हें सख्ती से लागू करने के लिये विशेष अभियान व आन्दोलन चलाना चाहिये।
कसभी देश अपने आर्थिक कोटे से इन वन्य जीवों के संरक्षण और रख-रखाव के लिये उपयोग होने वाले रूपये पैसे को सीधा संस्थानों या संघटनों तक पहुँचाना चाहिये। ताकि किसी अन्य घोटाले व लापरवाही न रहे।
क सभी देशों, राज्यों, शहरों, कस्बों और गांवों के हर घर से हर रोज एक रोटी का अनाज व एक रुपया जो हम भिक्षा में ड़ाल देते है, को जीव-जन्तुओं और जानवरो के लिये आरक्षित कर इस क्षेत्र में कार्य कर रहे संघटनों व संस्थानों तक सीधे पहुँचाने चाहिये। इससे लाखों-करोड़ों रूपये और हजारों किवंटल अनाज भूखे जीवों को पहुँच पायेगा।
क सरकार को चाहिये कि जंगलों व जीव अभायरण क्षेत्रों में पानी की विशेष की जाये।
क जंगलों से गुजरने वाली रेलगाडिय़ों की लाइनों के दोनों ओर दीवार या बाढ का विशेष प्रबंध होना चाहिये।
क जिस क्षेत्र में अधिक वन्य जीव हो, उस क्षेत्र को सरकार अधिग्रहण कर संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दें और उस क्षेत्र में आने वाले किसानों के लिये अलग भूमि दिये जाने का प्रबन्ध हो।
क दूरसंचार विभाग की मोबाइल सेवाओं में एक व्यक्ति को एक से अधिक नं० व मोबाइल के प्रयोग प्रतिबंध लगाया जाये क्योंकि मोबाइल से निकलने वाले विकरण पर्यावरण व पूरे आकाशीय मंडल पर खतरनाक प्रभाव छोड़ते है। जिससे सैकड़ों पक्षी प्रजातियों के लिये खतरनाक है।
क टी.वी. चैनलों, रेडियो, अखबारों व विज्ञापनों द्वारा विशेष जागरूकता कार्यक्रम दिखाकर लोगों को जागरूक किया जाना चाहिये, क्योंकि ये माध्यम सर्वाधिक लोकप्रिय व जनजागृति का अनूपम साधन है।
क स्कूलों, कॉलिजों व शिक्षण संस्थानों में पर्यावरण और जीव जगत का विषय अनिवार्य कर दिया जाएं और जीव जन्तु दिवस व पर्यावरण दिवस को सरकार द्वारा भी अन्य राष्ट्रीय त्यौहारों में मान्यता दी जाएं।
वन्य जगत के सभी प्राणियों के बिना मनुष्य अकेला है, इनके बिना प्रेेम, दया, सहानुभूति और स्वयं का विशेष होना मनुष्य के लिये अकेले जानना अत्यधिक कठिन है, क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य को पृथ्वी को सबसे अलग, अनोखा, सुन्दर व बुद्धिमान प्राणी बनाया है। जिसका कारण प्रकृति की देखभाल समस्त प्राणियों की रक्षा ही मनुष्य का कर्तव्य है।

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